
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जमानत और अग्रिम जमानत याचिकाओं के निपटारे में देरी न्याय से वंचित करने के बराबर है। अदालत ने हाई कोर्टों को निर्देश दिया कि ऐसी याचिकाओं पर दाखिल होने की तारीख से दो माह के भीतर निर्णय दिया जाए।
जस्टिस जेबी पार्डीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को वर्षों तक लंबित रखना अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ है। अदालत ने हाई कोर्ट और जिला अदालतों को इन मामलों को प्राथमिकता देने और अनिश्चितकालीन स्थगन से बचने को कहा। साथ ही जांच एजेंसियों को भी लंबित मामलों की जांच शीघ्र पूरी करने की नसीहत दी।