
फिल्मी दुनिया के सितारों के लिए नाम और शोहरत साथ-साथ चलते हैं। लेकिन अक्सर लोग यह भूल जाते हैं कि सफलता के बाद मिलने वाला यह विशेषाधिकार मेहनत का फल है। कई लोग इस नई हकीकत को स्वीकारने के बजाय शिकायत और शिकायत में ही उलझे रहते हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर ने शाहरुख़ ख़ान की एक सीख साझा की। शाहरुख़ ने कहा था, ‘मुझे बीच पर जाकर पानीपुरी–भेलपुरी खाने का कोई शौक़ नहीं है। मैं पाँच सितारा होटल में बैठकर भी वही पानीपुरी मँगवाकर खा सकता हूँ। और मुझे यह पसंद है। मैंने इसके लिए मेहनत की है, मैं इसे चाहता हूँ। फिर मैं कैसे कह सकता हूँ-‘अरे यार, चश्मा पहन लो, प्रेस आ गई है। कितने लोग खड़े हैं, ऑटोग्राफ देना पड़ रहा है।’ यह सब कहने की क्या ज़रूरत है? एक दिन आएगा जब कोई आपको पूछेगा ही नहीं, तब कर लेना यह ‘अरे यार अरे यार’।’’ यह विचार हमें याद दिलाता है कि सफलता और शोहरत अगर मेहनत से कमाई है तो उसे शिकायत नहीं, कृतज्ञता के भाव से जीना चाहिए।
