
वाशिंगटन। कहते हैं नागिन अपना बदला लेना नहीं भूलती। वह अपने दुश्मन इंसान का चेहरा हमेशा याद रखती है। यह मामला कौवों के मामले में भी सटीक बैठता है। कौवे भी मनुष्य का चेहरा याद रखते हैं।
अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में किए गए एक शोध से पता चला कि कौवे उन लोगों के चेहरे वर्षों तक याद रखते हैं जिन्होंने उनके साथ बुरा किया हो। 2005 में जीवविज्ञानी डॉ. जॉन मार्ज़लफ़ की टीम ने प्रयोग शुरू किया। कुछ शोधकर्ताओं ने गुफावासी जैसे मास्क पहनकर कौवों को परेशान किया जबकि बाकी ने साधारण मास्क पहनकर उन्हें अनदेखा किया।
नतीजा चौंकाने वाला रहा। कौवे मास्क पहने उन्हीं लोगों पर आक्रामक हो उठे जिन्होंने उन्हें तंग किया था। वे चीख़ते, सिर के पास से उड़ते और उनका पीछा करते। इतना ही नहीं, समय के साथ अन्य कौवे भी इस व्यवहार में शामिल हो गए।
यह प्रयोग पूरे 17 साल चला और साबित किया कि कौवे न केवल चेहरों को पहचानते हैं, बल्कि अपनी नफ़रत और जानकारी पूरे झुंड तक साझा करते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में मॉबिंग कहा जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि केवल कौवे ही नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई मैगपाई, सीगल और नीलकंठ जैसे कई पक्षी भी दुश्मन को पहचानकर उसी तरह आक्रामक हो सकते हैं।
