प्रो. माधवी लता की 17 वर्षों की साधना रंग लाई

श्रीनगर। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का उद्घाटन किया। यह पुल न केवल इंजीनियरिंग की दृष्टि से एक अद्भुत उपलब्धि है, बल्कि यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (272 किमी) का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है, जिसे वर्ष 2003 में स्वीकृति मिली थी और अब 2025 में आम जनता के लिए शुरू किया गया है।
इस ऐतिहासिक परियोजना के सफल क्रियान्वयन में जिन विशेषज्ञों की अहम भूमिका रही, उनमें प्रमुख नाम है – भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की प्रोफेसर डॉ. माधवी लता का। वे इस प्रोजेक्ट की भू-तकनीकी सलाहकार थीं और लगातार 17 वर्षों तक इससे जुड़ी रहीं।
डॉ. माधवी लता देश की प्रतिष्ठित भू-तकनीकी इंजीनियर हैं। उन्होंने 1992 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एनआईटी वारंगल से एमटेक (भू-तकनीकी इंजीनियरिंग) में गोल्ड मेडल के साथ स्नातकोत्तर किया और फिर IIT मद्रास से वर्ष 2000 में पीएचडी पूरी की।
उनकी विशेषज्ञता और समर्पण को भू-तकनीकी समुदाय ने भी सराहा है। वर्ष 2021 में उन्हें इंडियन जियोटेक्निकल सोसाइटी द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ भू-तकनीकी शोधकर्ता’ का पुरस्कार प्रदान किया गया।
चिनाब पुल की यह सफलता भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है, जिसमें डॉ. माधवी लता जैसी वैज्ञानिकों की भूमिका निर्णायक रही है।