● मेंढक अपना पूरा पेट मुंह के रास्ते बाहर निकाल देता है, उसे साफ करता है

नई दिल्ली। इंसानों की तरह सामान्य उल्टी करने में असमर्थ मेंढकों के बारे में वैज्ञानिकों ने रोचक तथ्य उजागर किया है। अनुसंधानों में पाया गया है कि कुछ प्रजातियों के मेंढक, खासकर अफ्रीकी क्लॉड फ्रॉग, विषैले या अवांछित तत्वों को शरीर से बाहर निकालने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाते हैं। इस प्रक्रिया को गैस्ट्रिक एवर्ज़न कहा जाता है।
गैस्ट्रिक एवर्ज़न में मेंढक अपना पूरा पेट मुंह के रास्ते बाहर निकाल देता है, उसे साफ करता है और फिर वापस शरीर में खींच लेता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह तंत्र मेंढक के लिए जीवित रहने का उपाय है क्योंकि इससे वे तेजी से हानिकारक पदार्थ या अवरोधक तत्व बाहर निकाल पाते हैं।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि यह व्यवहार सभी मेंढक प्रजातियों में नहीं पाया जाता और न ही हर परिस्थिति में सक्रिय होता है। कभी-कभी तनाव, कंपन या वातावरणीय बदलाव के कारण भी मेंढकों में यह असामान्य प्रतिक्रिया देखने को मिलती है।
अनुसंधान में यह भी सामने आया है कि इस प्रक्रिया के दौरान मेंढकों को जोखिम भी हो सकता है। यदि पेट बाहर आने के बाद गले में फंस जाए तो सांस रुकने से उनकी मृत्यु तक हो सकती है।
यानी, यह अनोखी जैविक क्षमता मेंढकों की प्रकृति का हिस्सा तो है, लेकिन यह हर स्थिति में उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं देती। वैज्ञानिक अब भी इस पर शोध कर रहे हैं कि यह अनूठा बचाव तंत्र कब और क्यों सक्रिय होता है।
