
मुंबई। विलेपार्ले पश्चिम में स्थित संन्यास आश्रम में नारायण भक्त मंडल द्वारा, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मानस मुक्ता यशुमति के व्यासत्व में, सद्गुरु नारायण महाप्रभु की जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में 22 सितंबर से आयोजित 9 दिवसीय कथा में यज्ञ रक्षा हेतु ताड़का, सुबाहु सहित अन्य राक्षसों का वध, अहिल्या उद्धार करके राम–लक्ष्मण, गुरु विश्वामित्र के साथ धनुष यज्ञ देखने मिथिला में प्रवेश करते हैं।
अपने कथा प्रवाह में मानस मुक्ता ने कहा कि सनातन सिद्धांत के अनुसार जीवन में सर्वाधिक मित्र बनाना चाहिए। जीवन में किसी कार्य से क्षोभ हो तो गंगा स्नान, गोसेवा और ब्राह्मण दान अवश्य करना चाहिए।
मिथिला भूमि का माहिम गान करते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या संतों की भूमि है, जहाँ प्रभु अवतरित हुए, किन्तु वहाँ भी एक मंथरा थी जो भगवान राम का विरोध करती थी। लेकिन मिथिला के समस्त जीव प्रेमवश सीता जी से राम जी के विवाह की मंगल कामना करते हैं। भक्ति के सदन में ही भगवान निवास करते हैं।
मिथिला के प्रेम को प्रतिष्ठित करते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान कृष्ण के प्रेम में जहाँ गोपियाँ दौड़ती थीं, वहीं राम जी के प्रेम में बालक से लेकर बूढ़े भी डंडे के सहारे दौड़ पड़ते थे। यही है मिथिला का प्रेम। मिथिला की सड़कें राम जी के लिए फूलों से आच्छादित कर दी गई थीं। इस भाव को स्पष्ट करते हुए मानस मुक्ता ने कहा कि फूल का एक नाम ‘सुमन’ भी है। यह मात्र फूल नहीं, बल्कि मिथिला वासियों के सुंदर मन थे, जो प्रभु के प्रति समर्पित थे।
इस प्रकार, संत-संत गोपी और संत लक्ष्मी के पावन सान्निध्य में श्रोताओं के साथ सद्गुरु फाउंडेशन ट्रस्ट के चेयरमैन गणेश अग्रवाल, ममता गणेश अग्रवाल, कमला अग्रवाल, रेनुका अग्रवाल, चेतन भाई, राजेश पोद्दार, अंशुल वर्मा, भारती बेन, भूमिका वर्मा, अनुसूया, कैलाश शर्मा, राजेश सिंह, विजय सिंह, सचिन, सौम्या सिंह, भजन गायिका सरला मीरचंदानी, मंजू शुक्ला एवं ‘हम रामजी के रामजी हमारे हैं’ सेवा ट्रस्ट मुंबई के सहसचिव दिनेशप्रताप सिंह कथा में उपस्थित थे।
