
बलिया। “आओ गायें रामकथा घर-घर में” आध्यात्मिक आंदोलन के प्रणेता पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व में टी. डी. कॉलेज प्रांगण, बलिया में 29 सितंबर से 7 अक्टूबर तक चल रहे नौ दिवसीय मानस महोत्सव के दूसरे सत्र का आयोजन हुआ। प्रतिदिन संध्या 4 से 7 बजे तक हो रहे इस आयोजन में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है।
इस अवसर पर महाराजश्री के कृपापात्र शिष्य पूज्य राजन महाराज भी पहुंचे। उन्होंने आशीर्वाद प्राप्त कर कहा कि पूज्यश्री के दर्शन मात्र से ही उनमें नई ऊर्जा का संचार होता है। शक्ति उपासना की अष्टमी महापर्व पर उन्होंने माता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए लोकप्रिय भजन “लाले लहर दरवा हो…” तथा शिवबाबा की महिमा में “श्रृंगार होखे ला…” प्रस्तुत किए, जिनसे श्रोता भावविभोर हो उठे।
मानस के व्यवहार घाट पर कथा सुनाते हुए श्री प्रेमभूषण महाराज ने शिव विवाह प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि विवाह में यदि दूल्हा सुंदर हो तो स्वजन-पुरजन प्रसन्न हो जाते हैं। किंतु भगवान शिव का रूप देखकर मैना मैया रो उठीं। विवाह में कोई कमी रह जाए तो लोग दोष देने लगते हैं परंतु वास्तविकता यह है कि विवाह पूर्वनिर्धारित होता है। अतः किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

महाराजश्री ने कहा कि आजकल बेमेल विवाह का चलन बढ़ रहा है। साथ ही, लिव-इन रिलेशन को कानून द्वारा मान्यता देने से विवाह संस्था का महत्व कम हुआ है। उन्होंने इसे अधर्म बताते हुए इससे बचने की सलाह दी।
प्रेम संबंधों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शाश्वत संबंध बनाए नहीं जाते, वे अपने आप बनते हैं और कभी टूटते नहीं। अनुबंध तो किसी के साथ भी किया जा सकता है, परंतु संबंध हृदय से जुड़ते हैं। ऐसे रिश्तों में दिमाग नहीं, बल्कि दिल का स्पंदन काम करता है।
इस प्रकार शिव विवाह प्रसंग की कथा सुनाते हुए पूज्यश्री ने प्रेम और मर्यादा के अनेक सूत्रों से श्रोताओं को लाभान्वित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा के दूसरे सत्र का समापन भक्तिरस में डूबे वातावरण के बीच हुआ।
