प्रकृति के प्रति प्रेम से उपजा संकल्प

जुन्नर (महाराष्ट्र):
सेना से सेवानिवृत्त होकर वनरक्षक बने राकेश खरमाले ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। जुन्नर तालुका के खोदद गांव निवासी खरमाले पिछले कई वर्षों से जलसंवर्धन और वृक्षारोपण के कार्य में जुटे हुए हैं। वर्ष 2021 में उन्होंने केवल दो महीनों में 412 मीटर लंबे और कुल 70 जलशोषक चर (वॉटर एब्जॉर्बिंग ट्रेंचेज) तैयार किए। इससे वर्षा के दौरान करोड़ों लीटर पानी जमीन में समा सका, जिससे जलस्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
सेना से 2012 में सेवा निवृत्त होने के बाद खरमाले ने कुछ समय बैंक में नौकरी की, फिर जुन्नर में एक सैन्य प्रशिक्षण अकादमी शुरू की। हालांकि उनका मन इन कार्यों में अधिक नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने वन विभाग की परीक्षा देकर वनरक्षक पद ग्रहण किया और प्रकृति के लिए समर्पित कार्यों की शुरुआत की।
2021 में अपने जन्मदिन पर उन्होंने पर्यावरण को उपहार स्वरूप कुछ देने का संकल्प लिया। इसके तहत जुन्नर शहर के पास स्थित धामनखेल की पहाड़ियों पर जलशोषक चर बनाने का बीड़ा उठाया। अपनी पत्नी के साथ मिलकर उन्होंने 300 घंटे श्रमदान किया और 70 चर तैयार किए। इनकी कुल लंबाई 412 मीटर रही।
इन जलसंवर्धन प्रयासों के परिणामस्वरूप एक ही मानसून में 8 लाख लीटर से अधिक पानी जमीन में समा गया। बाद में, उन्होंने इस इलाके में करीब 450 पौधे भी लगाए, जो अब बढ़ने लगे हैं।