● क्या कहते हैं शास्त्रीय प्रमाण?

◆ धीरज मिश्र@मुंबई ।
हर साल की तरह इस बार भी दीपावली की तारीख को लेकर लोगों में भ्रम है। कारण वही अमावस्या तिथि का दो दिनों तक विस्तृत रहना। वर्ष 2025 में अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्तूबर दोनों को पड़ रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर किस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन और दीपदान किया जाए?
शास्त्र क्या कहते हैं?
धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु और अन्य प्रमुख ग्रंथों के अनुसार दीपावली की तिथि का निर्धारण “प्रदोष व्यापिनी अमावस्या” से होता है। अर्थात जिस दिन सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल में) अमावस्या तिथि विद्यमान हो, उसी रात्रि में लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। यही दीपावली पूजन का वास्तविक ‘कर्मकाल’ माना गया है।
धर्मसिंधु में स्पष्ट उल्लेख है- “अथाश्विनामावास्यायां प्रातरभ्यंगः प्रदोषे दीपदान-लक्ष्मीपूजनादि विहितं।” अर्थात आश्विन अमावस्या के दिन प्रातः अभ्यंग स्नान और संध्या प्रदोष में दीपदान व लक्ष्मी पूजन का विधान है।
पंचांग विश्लेषण 2025
- 20 अक्तूबर 2025 (सोमवार):
- अमावस्या तिथि आरंभ: दोपहर 3:45 बजे
- सूर्यास्त/प्रदोष काल प्रारंभ: 5:42 बजे
इस दिन संपूर्ण प्रदोष काल और रात्रि भर अमावस्या व्याप्त रहेगी। - यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वथा शुभ और शास्त्रसम्मत है।
21 अक्तूबर 2025 (मंगलवार)
- सूर्यास्त/प्रदोष काल प्रारंभ: 5:41 बजे
- अमावस्या समाप्ति: 5:55 बजे
- प्रदोष काल में अमावस्या की उपस्थिति मात्र 14 मिनट की जो एक घटिका (24 मिनट) से भी कम है।
- यह ‘स्पर्श मात्र अमावस्या’ मानी जाएगी, जो लक्ष्मी पूजन के योग्य नहीं।
धर्मसिंधु का निर्णय सूत्र
“पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तौ लक्ष्मीपूजादौ पूर्वा, अभ्यंगस्नानादौ परा॥” अर्थात यदि केवल पहले दिन ही प्रदोष काल में अमावस्या की पूर्ण व्याप्ति हो, तो लक्ष्मी पूजन उसी दिन करना चाहिए।
अगले दिन अभ्यंग स्नान किया जा सकता है।
अंतिम निर्णय क्या लें?
सभी शास्त्रीय प्रमाणों और पंचांग विश्लेषणों के आधार पर वर्ष 2025 की दीपावली 20 अक्तूबर (सोमवार) को ही मनाई जाएगी।
यही दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन, दीपदान और सुख-समृद्धि की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ और शास्त्रसम्मत है।
21 अक्तूबर को केवल अमावस्या स्नान, दान और श्राद्ध कर्म का विधान रहेगा।
इस प्रकार, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए दीपावली का महापर्व 20 अक्तूबर 2025 की रात्रि को ही मनाएं।
