■ एमआईटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

कैम्ब्रिज (अमेरिका)।
प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT Media Lab) की एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ChatGPT जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल का अत्यधिक उपयोग मस्तिष्क की सक्रियता को कम कर सकता है। अध्ययन का शीर्षक है — “Your Brain on ChatGPT: Accumulation of Cognitive Debt when Using an AI Assistant for Essay Writing Task”, जिसे जून 2025 में जारी किया गया।
अध्ययन में 18 से 39 वर्ष के 54 प्रतिभागियों को तीन समूहों में बाँटा गया। एक समूह ने बिना सहायता के निबंध लिखा, दूसरे ने सर्च इंजन का सहारा लिया और तीसरे ने ChatGPT जैसे बड़े भाषा मॉडल (LLM) का उपयोग किया। लेखन के दौरान उनकी मस्तिष्क गतिविधि EEG तकनीक से मापी गई।
परिणामों में पाया गया कि एआई का उपयोग करने वाले समूह में मस्तिष्क की न्यूरल सक्रियता सबसे कम थी। शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसे उपयोगकर्ताओं के मस्तिष्क में विभिन्न हिस्सों के बीच जुड़ाव घट गया, जिससे उनकी एकाग्रता और रचनात्मकता पर असर पड़ा। इस स्थिति को एमआईटी टीम ने “संज्ञानात्मक ऋण” (Cognitive Debt) कहा यानी जब व्यक्ति अपने मानसिक श्रम को तकनीक पर छोड़ देता है।
अध्ययन में यह भी देखा गया कि ChatGPT से निबंध लिखवाने वाले प्रतिभागियों में अपने लेख से “स्वामीभाव” कम था और वे सामग्री को याद नहीं रख पाए। इसके विपरीत, जिन्होंने खुद लिखा, उनका मस्तिष्क अधिक सक्रिय और सीखने की प्रक्रिया बेहतर थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि एआई का संतुलित उपयोग ही लाभकारी है। यह लेखन, शोध और समय प्रबंधन में मदद कर सकता है, लेकिन पूरी निर्भरता से रचनात्मकता और स्मरणशक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
रिपोर्ट अभी peer-reviewed नहीं है, फिर भी यह चेतावनी देती है कि एआई को सोचने के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि सहायक साधन की तरह अपनाना चाहिए।
वैज्ञानिकों के यानुसार यदि आप एआई को अपने विचारों का विस्तार बनाते हैं तो यह वरदान है, लेकिन सोचने का विकल्प बना लें तो यही वरदान संज्ञानात्मक ऋण बन जाएगा।
स्रोत : ● MIT Media Lab ●TIME, ● Indian Express, ● Cointelegraph.
