■ भाई दूज: क्या है मुहूर्त और कथा?

● पंडित धीरज मिश्र
भाई और बहन के शुद्ध प्रेम, स्नेह और अटूट विश्वास का प्रतीक पर्व भाई दूज (यम द्वितीया) इस वर्ष 23 अक्तूबर 2025, गुरुवार को पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। दीपोत्सव के समापन पर आने वाला यह त्योहार भारतीय संस्कृति में पारिवारिक रिश्तों की आत्मीयता का सुंदर उदाहरण है।
पूजा का सही दिन और तिथि
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 22 अक्तूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा और समापन 23 अक्तूबर की रात 10 बजकर 46 मिनट पर। चूंकि उदया तिथि 23 अक्तूबर को है, इसलिए मुख्य तिलक और पूजा उसी दिन करना शास्त्रसम्मत माना गया है।
तिलक का शुभ मुहूर्त और विशेष योग
भाई दूज पर तिलक का सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक, जिसकी अवधि लगभग 2 घंटे 15 मिनट है। इस दिन पंचांग के अनुसार आयुष्मान योग और शिववास योग जैसे अत्यंत शुभ संयोग बन रहे हैं।
आयुष्मान योग भाई की दीर्घायु और स्वास्थ्य में वृद्धि करने वाला है, जबकि शिववास योग में किया गया तिलक और पूजन बहन की कामनाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, दोपहर का समय तिलक के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

क्या है कथा?
पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अतिथि बनकर पहुंचे। यमुना ने उनका स्नेहपूर्वक स्वागत किया और प्रेम से भोजन कराया।
भाई के स्नेह से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान देने को कहा। यमुना ने निवेदन किया “जो भाई आज के दिन अपनी बहन के घर तिलक करवाकर भोजन करे, उसे यम का भय न हो और वह दीर्घायु हो।” यमराज ने यह वरदान स्वीकार करते हुए कहा कि जो इस दिन यमुना में स्नान करेगा, वह भी पापमुक्त होकर पुण्य का भागी बनेगा।
तभी से यह पर्व ‘यम द्वितीया’ के रूप में मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम को अमर बनाता है और जीवन में सुरक्षा, स्नेह और दीर्घायु का आशीर्वाद देता है।
