
● कानपुर।
“आओ गायें रामकथा घर-घर में” इस आध्यात्मिक आंदोलन के प्रणेता पूज्य प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व में राकेश मिश्र द्वारा आजाद नगर स्थित पं. दीनदयाल सनातन धर्म विद्यालय प्रांगण में 8 नवम्बर से आरंभ हुई नौ दिवसीय रामकथा के दूसरे दिवस की कथा का सार अत्यंत प्रेरक रहा।
महाराज जी ने कहा कि भगवान की कथा पुण्यों का फल है, जो हमारी समस्त कामनाओं को पूर्ण करती है। मन हमारे प्राणों में निवास करता है, इसलिए उसे विशेष इन्द्रिय कहा गया है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ के द्वारा बिछाए गए आसन पर बैठना अथवा उससे हालचाल पूछना अनुचित है। अयोग्य व्यक्ति को अधिकार नहीं देना चाहिए और जीवन का कोई भी अनुष्ठान किसी के अनादर के लिए नहीं होना चाहिए।
महाराज ने कहा कि पंचमहाभूतों पर जिसका आधिपत्य है वही परमात्मा है। अर्थ की अधिकता सदैव अनर्थ को साथ लाती है। शिव की शरण में आने वाला कभी खाली नहीं लौटता। विवाह साज, समाज और दूल्हे के अनुरूप होना चाहिए। बोलने का उचित ढंग न हो तो मौन रहना ही तप का फल देता है। अपनी प्राप्ति में प्रसन्न रहना ही सुख का मूल मंत्र है।

उन्होंने मैना मइया द्वारा पार्वती को दिए पतिव्रत धर्म के उपदेश, कार्तिकेय जन्म और शिव-पार्वती विवाह के प्रसंगों का रसपूर्ण वर्णन किया। महाराज ने कहा कि इन प्रसंगों का श्रवण जीवन में मंगलमय उत्सवों का आह्वान करता है।
कथा प्रसंगों के मध्य उन्होंने अपने लोकप्रिय भजनों “शंकर तेरी जटा में बहती है गंग धारा” और “जो पहले दिया है वह कम नहीं है” के गायन से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। श्रद्धालुओं का जनसैलाब आनंद में झूम उठा। कथा श्रवण का लाभ लेने वालों में पूर्व एम.एल.सी. राजेश मिश्र, अंकित साड़ीवाले जय गुप्ता सहित अनेक श्रद्धालु सपरिवार उपस्थित रहे।
