■ आज कालभैरव जयंती : शुभ योगों में करें रौद्र रूप शिव की आराधना

● धीरज मिश्र
भगवान शिव के रुद्र स्वरूप भैरव नाथ की उपासना को समर्पित कालभैरव जयंती इस वर्ष 12 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पावन पर्व मार्गशीर्ष (अगहन) मास की कृष्ण अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इसे भय पर विजय, अधर्म के विनाश तथा धर्म की रक्षा का प्रतीक माना गया है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के अहंकार का दमन करने और सृष्टि में संतुलन स्थापित करने हेतु भैरव स्वरूप धारण किया था। इसी घटना की स्मृति में कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। यह दिन केवल पूजा-अर्चना का अवसर नहीं बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और भय पर निर्भयता की जीत का संदेश देता है।
शुभ संयोगों का संगम
वर्ष 2025 में यह जयंती कई शुभ योगों के संगम के साथ आ रही है। इस दिन ब्रह्म योग, शुक्ल योग और आश्लेषा नक्षत्र का संयोग बनेगा, जो भैरव साधना, तांत्रिक उपासना और मंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत अनुकूल माने गए हैं।
शुक्ल योग प्रातः 8:02 बजे तक रहेगा, जो मन की पवित्रता और सात्त्विकता को बढ़ाता है।
इसके पश्चात दिनभर ब्रह्म योग प्रभावी रहेगा, जो ज्ञान, ध्यान और साधना के लिए श्रेष्ठ है।
आश्लेषा नक्षत्र सायं 6:35 बजे तक रहेगा, जो रहस्यमय साधना और भैरव उपासना का प्रतीक है।
इस दिन बालव करण (सुबह 10:57 बजे तक) और कौलव करण (10:58 बजे तक) भी रहेंगे, जो व्रत और पूजन आरंभ करने के लिए शुभ माने गए हैं।

तिथि और पूजन काल
कालभैरव जयंती की अष्टमी तिथि 11 नवंबर की रात 11:08 बजे से शुरू होकर 12 नवंबर की रात 10:58 बजे तक रहेगी। पूरी अवधि पूजा के लिए शुभ है, किंतु विशेष फल रात्रिकालीन पूजा में मिलता है। भक्त इस रात दीपदान, भैरव चालीसा पाठ और कुत्तों को भोजन कराने से भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करते हैं। ऐसा करने से भय, रोग, शत्रु और मानसिक अशांति का नाश होता है।
ग्रह स्थिति और आध्यात्मिक प्रभाव
इस वर्ष जयंती के दिन चंद्रमा कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे शौर्य, आत्मविश्वास और निर्णय-शक्ति में वृद्धि होगी। वहीं तुला राशि में स्थित सूर्यदेव संतुलन और विवेक का प्रतीक बनेंगे। यह ग्रह स्थिति साधक को शक्ति और भक्ति दोनों का संतुलन प्रदान करती है, जिससे उसकी साधना फलदायी बनती है।
इस दिन भगवान कालभैरव के 108 नामों का जप, भैरव अष्टक का पाठ तथा रात्रि-जागरण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस साधना से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय, भय से मुक्ति और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
