
● नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि मानव–वन्यजीव संघर्ष को ‘प्राकृतिक आपदा’ घोषित करने पर सक्रियता से विचार करें, ताकि पीड़ितों को जल्द राहत मिले। कोर्ट ने निर्देश दिया कि ऐसी घटनाओं में मौत होने पर राज्यों को 10 लाख रुपये का अनिवार्य मुआवजा देना होगा।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की पीठ ने टाइगर रिजर्व प्रबंधन, सफारी नियम और संवेदनशील बाघ क्षेत्रों की सुरक्षा पर व्यापक दिशानिर्देश जारी किए। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए अवैध निर्माण व पेड़ कटाई पर उत्तराखंड सरकार को तीन माह में कार्रवाई का आदेश दिया गया।
एनटीसीए को छह माह में मानव–वन्यजीव संघर्ष पर मॉडल दिशानिर्देश तैयार करने और राज्यों को समयबद्ध रूप से लागू करने के निर्देश मिले। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और सुलभ हो।

कोर क्षेत्रों में टाइगर सफारी पर पूरी तरह रोक रहेगी। सफारी केवल बफर जोन की गैर-वन भूमि पर ही मान्य होगी और उसके साथ रेस्क्यू–रिहैबिलिटेशन सेंटर जरूरी होगा।
बफर और फ्रिंज जोन में खनन, आरा मिल, प्रदूषणकारी उद्योग, बड़े पावर प्रोजेक्ट और कम ऊंचाई वाली उड़ानों पर प्रतिबंध रहेगा। रात्रि पर्यटन बंद रहेगा और टाइगर रिजर्व को तीन माह में ‘शांत क्षेत्र’ घोषित करने के आदेश दिए गए हैं।
