
नई दिल्ली।
1922 में जब तूतनखामुन की कब्र खोली गई, तो उसके बाद कब्र से जुड़े कई लोगों की रहस्यमय मौतों ने ‘फराओ का श्राप’ की अफवाह को जन्म दिया। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मौतें श्राप नहीं बल्कि कब्र में मौजूद एस्परजिलस फ्लेवस नामक फंगस के कारण हुईं, जो कमजोर इम्युनिटी वालों में गंभीर संक्रमण फैला सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि यही फंगस अब कैंसर के इलाज में मददगार हो सकता है क्योंकि इसमें मौजूद कुछ कंपाउंड्स कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की क्षमता रखते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस फंगस से एस्परिजाइमाइसिन नामक चार नए पेप्टाइड्स खोजे हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सक्षम हैं। यह खोज कैंसर उपचार के क्षेत्र में नई उम्मीद लेकर आई है।
जिस फंगस को कभी “फराओ का श्राप” कहा गया था, वही अब गंभीर बीमारी जैसे कैंसर के इलाज की दिशा में आशा की किरण बनकर उभरा है। अगर आगे के ट्रायल्स में भी यह प्रभावी साबित होता है, तो यह शोध कैंसर उपचार में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन सकती है।