
● मुंबई
केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित सैटेलाइट आधारित टोल वसूली योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने से जासूसी और निजता पर खतरे की आशंका के कारण यह फैसला लिया गया। पहले भी सरकार स्पष्ट कर चुकी थी कि 1 मई से ऐसी कोई व्यवस्था लागू नहीं होने वाली है।
जीएनएसएस आधारित ‘दूरी के हिसाब से टोल’ प्रणाली में हर वाहन में ओबीयू ट्रैकिंग डिवाइस अनिवार्य था, जिससे वाहन की लोकेशन, रूट और गति जैसी जानकारी लगातार रिकॉर्ड होती। अधिकारियों के अनुसार इस डेटा के दुरुपयोग से आम नागरिकों की निजी सुरक्षा और वीआईपी मूवमेंट पर खतरा था।

सरकार ने बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे और हरियाणा में ट्रायल भी किया था, जिसके तहत तय दूरी के अनुसार बैंक खाते से राशि कटनी थी।
अब सरकार सैटेलाइट प्रणाली के बजाय एएनपीआर तकनीक पर काम कर रही है। इस व्यवस्था में हाईवे कैमरे वाहन की नंबर प्लेट पढ़कर मौजूदा फास्टैग वॉलेट से ही टोल काटेंगे। मंत्रालय ने दोहराया है कि देशभर में सैटेलाइट आधारित टोलिंग लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और चुने हुए टोल प्लाजा पर एएनपीआर-आधारित बाधारहित टोलिंग को आगे बढ़ाया जाएगा।
