
● नई दिल्ली।
दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने और उसे डिसेबल न करने के निर्देश के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। पुराने फोन में भी यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये जोड़ा जाएगा। कंपनियों को 90 दिन की समयसीमा दी गई है।
निर्देश सामने आते ही विपक्ष ने इसे “जासूसी ऐप” करार देते हुए सरकार पर निजता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। प्रियंका गांधी ने कहा कि नागरिकों को निजी बातचीत का अधिकार है और सरकार देश को “तानाशाही” की ओर ले जा रही है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी इस कदम को गलत बताया।
- केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि संचार साथी ऐप को सक्रिय करना वैकल्पिक है और केंद्र के निर्देश से गोपनीयता संबंधी चिंताएँ और राज्य की निगरानी की आशंकाएँ पैदा होने के बाद इसे कोई भी हटा सकता है।

वहीं सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि साइबर सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है और विपक्ष अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि संसद को रोकने के बजाय मुद्दों पर गंभीर बहस होनी चाहिए।
भाजपा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने भी इस ऐप का समर्थन करते हुए कहा कि लगातार बढ़ रहे साइबर हमलों के बीच डेटा सुरक्षा बेहद जरूरी है और यह कदम नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करेगा।
