■ रेल मंत्री ने दी जानकारी

● नई दिल्ली।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में लिखित उत्तर देते हुए बताया कि वरिष्ठ नागरिकों और 45 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं को निचली बर्थ स्वतः उपलब्ध सीटों के आधार पर आवंटित कर दी जाती है, भले ही वे टिकट बुकिंग के समय इसे विकल्प के रूप में न चुनें।
मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष प्रावधान लागू करता है। स्लीपर कोच में प्रति कोच 6–7 निचली बर्थ, थर्ड एसी में 4–5 निचली बर्थ और सेकंड एसी में 3–4 निचली बर्थ इन वर्गों के यात्रियों के लिए सुरक्षित रखी जाती हैं। यह व्यवस्था वरिष्ठ नागरिकों, 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए होती है।
इसके अलावा, सभी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों राजधानी और शताब्दी सहित, में दिव्यांगजनों और उनके सहायकों के लिए अलग आरक्षण कोटा निर्धारित है। नियमों के अनुसार स्लीपर तथा 3एसी/3ई में चार-चार बर्थ (दो निचली और दो मिडिल), और द्वितीय आरक्षित (2S) तथा एसी चेयर कार (CC) में चार सीटें विशेष रूप से उनके लिए आरक्षित रहती हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि यात्रा के दौरान यदि कोई निचली बर्थ खाली मिलती है तो उसे प्राथमिकता के आधार पर वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं या दिव्यांग यात्रियों को दे दिया जाता है, जिन्हें प्रारंभ में ऊपरी या मध्य बर्थ मिली हो।
सुविधाओं और पहुंच-योग्यता में सुधार
वैष्णव ने कहा कि रेलवे कोचों में यात्रियों विशेषकर दिव्यांगजनों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई सुधार किए गए हैं। इन कोचों में चौड़े दरवाजे, चौड़ी बर्थ, बड़ा कम्पार्टमेंट, व्हीलचेयर पार्किंग स्पेस और चौड़े दरवाजों वाले विशाल शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। शौचालयों में अतिरिक्त ग्रैब-रॉड, उपयुक्त ऊँचाई पर वॉशबेसिन और शीशा भी लगाया गया है।
दृष्टिबाधित यात्रियों के लिए ब्रेल संकेतकों (Braille Signage) की व्यवस्था भी की गई है। आधुनिक अमृत भारत और वंदे भारत ट्रेनों को दिव्यांगजनों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। वंदे भारत के पहले और अंतिम कोच में व्हीलचेयर स्थान, दिव्यांगजन-अनुकूल शौचालय और अतिरिक्त स्पेस जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
