
● बर्लिन
एड्स का अब तक कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए एक नई उम्मीद जगाई है। 44 सालों में करोड़ों लोगों की जान लेने वाली इस बीमारी के 7 मरीज अब पूरी तरह डिजीज-फ्री घोषित हो चुके हैं।
बर्लिन में सातवें मरीज की रिकवरी इसलिए और महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि उसके शरीर में वह खास सुरक्षा देने वाला जीन नहीं था, जो पिछले छह मरीजों में पाया गया था। बिना इस जेनेटिक सुरक्षा के ठीक हो जाना वैज्ञानिकों के लिए बड़ा संकेत है कि एचआईवी इलाज के नए रास्ते संभव हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट बेहद जटिल और जोखिम भरी प्रक्रिया है, जिसका उपयोग केवल जानलेवा बीमारियों के अंतिम चरण में किया जाता है। यह एड्स का आम या स्थायी इलाज नहीं बन सकता, लेकिन हालिया सफलताएँ विज्ञान को नई दिशा दे रही हैं।
