■ केंद्र ने 11,718 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक मंजूरी दी

● नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने जनगणना 2027 के लिए 11,718 करोड़ रुपये के विशाल बजट को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय न केवल देश की सबसे महत्वपूर्ण डेटा-प्रक्रिया को आधुनिक रूप देगा बल्कि भारत को उसकी पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना की ओर निर्णायक कदम भी दिलाएगा। इस निवेश के साथ सदियों पुरानी कागजी प्रक्रिया अब मोबाइल और वेब-आधारित सिस्टम में रूपांतरित होगी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार यह बदलाव तीव्र शहरीकरण और तकनीकी रूपांतरणों के बीच देश को अधिक सटीक जनसांख्यिकीय तस्वीर उपलब्ध कराएगा। आवंटन में मोबाइल ऐप विकास से लेकर व्यापक डिजिटल ढांचे का निर्माण दोनों शामिल हैं ताकि देश का कोई भी हिस्सा पीछे न छूटे।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि जनगणना 2027 पूरी तरह डिजिटल उपकरणों के सहारे की जाएगी। जनगणना कर्मी मोबाइल ऐप के माध्यम से घर-घर डेटा लेंगे, जबकि आम नागरिकों को एक सरल वेब पोर्टल पर स्वयं-गणना का विकल्प मिलेगा। एक केंद्रीय पोर्टल पूरी प्रक्रिया पर वास्तविक समय में नजर रखेगा, जिससे गति और गुणवत्ता दोनों का स्तर बढ़ेगा। यह हाइब्रिड मॉडल मैदानी सर्वे + ऑनलाइन विकल्प पिछली जनगणनाओं में देखी गई त्रुटियों को काफी हद तक कम करेगा।
जनगणना दो चरणों में
पहला चरण : मकान सूचीकरण और आवास जनगणना, अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच, प्रत्येक राज्य में सिर्फ 30 दिनों में पूरा किया जाएगा।
दूसरा चरण : जनसंख्या गणना, फरवरी 2027 में, जिसकी संदर्भ तिथि 1 मार्च होगी।
हिमपात वाले क्षेत्रों लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए अलग समयसीमा तय की गई है। वहां यह प्रक्रिया सितंबर 2026 में होगी और संदर्भ समय 1 अक्तूबर माना जाएगा।
इन चरणबद्ध प्रावधानों से सुनिश्चित किया गया है कि देश का हर क्षेत्र चाहे वह दुर्गम हो या दूरस्थ राष्ट्रीय डेटा-संग्रह की इस सबसे बड़ी कवायद में समान रूप से शामिल हो सके।
