
गुरु पूर्णिमा हिंदू संस्कृति का एक प्रमुख आध्यात्मिक पर्व है, जिसे आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। ‘गुरु’ वह होता है जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश देता है।
इस दिन शिक्षकों, संतों और आध्यात्मिक गुरुओं की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसी दिन आदिगुरु महर्षि व्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन और महाभारत की रचना की। इसलिए इसे ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर भक्तजन व्रत रखते हैं, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। कई लोग अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेकर आत्मिक और मानसिक उन्नति का संकल्प लेते हैं।
तिथि और समय
पंचांग के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा 09 जुलाई 2025 को शाम 6:54 बजे शुरू होकर 10 जुलाई को शाम 5:47 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि का महत्व होता है इसलिए गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी।
क्या है महत्व?
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, अपने गुरु या महादेव का पूजन, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा, व्रत और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन किया गया स्नान और दान पापों से मुक्ति दिलाता है और पुण्य फल प्रदान करता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु के चरणों में श्रद्धा अर्पित करें और उनका आशीर्वाद लें। मान्यता है कि यदि किसी को गुरु नहीं बनाया गया हो तो महादेव को ही गुरु मान कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए।