● कजरी -1 @सुरेश मिश्र-9869141831

जल्दी घरवा आवा,आइ मानसून पिया,
काम भइल दून पिया न।
चुवइ लाग फिनि ओसार,
गड़हा होइ गइल दुवार,
नेट न वर्क करइ –
लागे नाहीं फून पिया,
काम भइल दून पिया न।
पूंछे रात मा सेजरिया,
कहिया अइहैं हो सांवरिया,
राह देखि-देखि –
बीति गइल जून पिया,
काम भइल दून पिया न।
ठप्प परल बा किसानी,
बोला, कइसे मनवां मानी,
जब से गउवां –
बनल बाटइ देहरादून पिया,
काम भइल दून पिया न।
जेकरा सइयां जी हौं गउवां,
ऊ दबावइ रोज पउवां,
रउवा हमरा लागे –
जिनगी सून-सून पिया,
काम भइल दून पिया न।
कागा आवइ न अटरिया,
जोही रात दिन डगरिया,
कलुआ खुद क समुझे-
आजु अफलातून पिया,
काम भइल दून पिया न।
खाली-खाली जिंदगानी,
पानी-पानी भइ जवानी,
अइसे लागइ जइसे –
दालि बिना नून पिया,
काम भइल दून पिया न।
बरसे पानी झकाझोर,
मन मयूर नाचे मोर,
कब मनावल जाई-
आपन हनीमून पिया,
काम भइल दून पिया न।