● कजरी@सुरेश मिश्र: 9869141831

मानसून अपने शबाब पर है। प्रियतम परदेस में हैं। नया-नया गौना आया था कि पिया परदेश चले गए। उसने पिया को फोन किया –
रिमझिम रिमझिम बरसइ पनियां
देहिया लगल अगिनियां न।
टप-टप नैन ओसारा टपके,
दिल आंगन भरि-भरि के छलके,
धनिया पिसत अहइ जस धनियां,
देहिया लगल अगिनियां न।
सगरी रतिया नींद न आवइ,
चुहचुइया रहि-रहि डेरवावइ,
रूठल बाटइ मोर परनियां,
देहिया लगल अगिनियां न।
चारिउ ओरी बा हरियाली,
हमरी खेतिया बाटइ खाली,
साजन बिनु के करइ किसनियां
देहिया लगल अगिनियां न।
केकरा करबइ पिया चिरौरी,
जियरा जरत अहइ जस भउरी,
तरसे कब ले मोर जवनियां,
देहिया लगल अगिनियां न।
इक तउ टांगल मोर परनवां
दुसरे सेजिया मारइ तनवां,
तिसरे चूमइ अधर नथनियां,
देहिया लगल अगिनियां न।
सावन लागल परल झुलनवां,
इत-उत झूलइ हमरा मनवां,
अब तउ छोड़ा सजन नदनियां
देहिया लगल अगिनियां न।