● यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक गंभीर समस्या बनकर उभरती है

मानसून का मौसम गर्मी से राहत जरूर देता है लेकिन यह स्वास्थ्य की दृष्टि से कई सावधानियां भी मांगता है। खासकर महिलाओं के लिए इस मौसम में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक गंभीर समस्या बनकर उभरती है।
मानसून में क्यों बढ़ता है जोखिम?
- बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपते हैं। गीले कपड़े, टाइट अंडरगारमेंट्स या देर तक भीगे रहने से संक्रमण की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
- बारिश के मौसम में पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल बढ़ जाता है। लेकिन अक्सर वहां पर्याप्त स्वच्छता नहीं होती। गंदे हाथों से जेनिटल एरिया को छूना या सफाई में चूक संक्रमण का मुख्य कारण बनती है।
- मानसून में कई लोग स्वाभाविक रूप से पानी कम पीते हैं। कम यूरिन बनने से बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में रुक जाते हैं, जिससे संक्रमण होने लगता है।
- बारिश के मौसम में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण आम होते हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है और यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) की संभावना बढ़ जाती है।
इन बातों का रखें ख्याल
- पर्याप्त पानी पिएं। दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीना जरूरी है। इससे यूरिन के माध्यम से बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
- व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें। टॉयलेट के बाद साफ पानी से सफाई करें और हमेशा सूखे, साफ और ढीले अंडरगारमेंट्स पहनें।
- पब्लिक टॉयलेट में सावधानी बरतें
जहां तक हो सके, स्वच्छ और सैनिटाइज्ड टॉयलेट का ही उपयोग करें। टिशू या सैनिटाइजर का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। - प्राकृतिक पेय लें। क्रैनबेरी जूस और नारियल पानी जैसे पेय यूटीआई के बैक्टीरिया से लड़ने में मददगार होते हैं।
- गीले कपड़े तुरंत बदलें। बारिश में भीगने के बाद या अधिक पसीना आने पर तुरंत कपड़े बदलें। सिंथेटिक के बजाय सूती और आरामदायक कपड़े पहनना बेहतर होता है।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- बार-बार पेशाब लगना
- पेशाब करते समय जलन या दर्द
- बदबूदार या खून मिला यूरिन
- पेट के निचले हिस्से में भारीपन
यदि ऐसे लक्षण नजर आएं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इलाज में देरी संक्रमण को बढ़ा सकती है।
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