● वैज्ञानिकों ने की अद्भुत जीव की खोज

बर्लिन।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे अनोखे बैक्टीरिया की खोज की है, जो विषैले धातुओं को पचाकर ठोस सोने के कण बना सकता है। इस बैक्टीरिया का नाम है Cupriavidus metallidurans, जो अत्यंत विषैले और भारी धातुओं वाले पर्यावरण में भी सहजता से जीवित रह सकता है।
यह जीव जब गोल्ड, कॉपर और कैडमियम जैसे धातुओं के संपर्क में आता है, तो अपने प्राकृतिक जैविक चयापचय के ज़रिये उन्हें गोल्ड नैनोपार्टिकल्स में बदल देता है। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को ‘बायोमिनरलाइजेशन’ कहते हैं।
प्रकृति का सोना बनाने वाला कारखाना
यह खोज सबसे पहले जर्मनी के Martin Luther University Halle-Wittenberg और Technical University of Munich के शोधकर्ताओं ने की थी।
उनके शोधपत्र The Biogenic Origin of Gold Nanoparticles (Nature Chemical Biology, 2009) में यह स्पष्ट किया गया कि Cupriavidus metallidurans नामक बैक्टीरिया gold chloride compounds को तोड़कर ठोस रूप में सोने के कण बना देता है।
कैसे करता है ये चमत्कार?
बैक्टीरिया में ऐसे जीन पाए गए हैं जो भारी धातुओं को सहन करने की शक्ति प्रदान करते हैं। जब ये धातुएँ कोशिकाओं में प्रवेश करती हैं तो बैक्टीरिया उनकी विषाक्तता को निष्क्रिय करके उन्हें धातु कणों में रूपांतरित कर देता है और इस प्रक्रिया में बनते हैं सोने जैसे नैनोपार्टिकल्स।
क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण?
गोल्ड माइनिंग में क्रांति: पारंपरिक सोना खनन विधियाँ पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंचाती हैं, जिनमें साइनाइड और मरकरी जैसे जहरीले रसायनों का इस्तेमाल होता है।
ई-वेस्ट रीसायक्लिंग: पुराने मोबाइल, कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स से सुरक्षित तरीके से सोना निकाला जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण: प्रदूषित भूमियों और जलस्रोतों से भारी धातुओं को निकालकर पुनर्स्वच्छता की जा सकती है।
यह शोध इस बात का प्रमाण है कि प्रकृति के अंदर ही कई ऐसे जीव वैज्ञानिक समाधान छुपे हैं, जो न केवल पर्यावरणीय संकट से लड़ने में हमारी मदद कर सकते हैं बल्कि कीमती संसाधनों की सतत और सुरक्षित पुनः प्राप्ति भी संभव बना सकते हैं।
स्रोत: Nature Chemical Biology Journal, 2009 – Reith, G. et al.