नई दिल्ली।
हाल ही में हुई शोध से पता चला है कि तिलचट्टे विशेषकर अमेरिकन प्रजाति कॉक्रोज मानव स्पर्श के तुरंत बाद खुद को साफ करने लगते हैं। यह केवल एक तुच्छ प्रतिक्रिया नहीं बल्कि उनकी जीवित रहने की रणनीति है।

एंटेना ग्रूमिंग आवश्यक
शोधकर्ताओं ने यह पाया कि तिलचट्टों की एंटेना सेंसरी अंगों को साफ रखना बेहद जरूरी है। यह साफ-सफाई सिर्फ बाहरी कणों को हटाने के लिए ही नहीं बल्कि उनके द्वारा खुद स्रावित मौखिक या cuticular hydrocarbons को हटाने के लिए भी होती है। ये पदार्थ एंटेना की छोटी‑छोटी छिद्रों को बंद कर सकते हैं, जिससे गंध महसूस करने की क्षमता बाधित हो जाती है ।
ग्रूमिंग रोकने से संवेदी कमजोरी
प्रयोगों में जब तिलचट्टों को ग्रूमिंग करने से रोका गया, उदाहरण के लिए मुंह बंद कर दिए गए या एंटेना अवरुद्ध कर दिए गए, तब उनके शरीर के सिस्टम ने संवेदनशील रोमछिद्र को ब्लॉक कर दिया। परिणामस्वरूप, ये थोड़े समय में अपने आसपास के फेरोमोन और अन्य गंधों को कमजोर रूप से महसूस करने लगे।
स्पर्श पर त्वरित सफाई
सोशल मीडिया और अद्यतन रिपोर्ट्स में यह भी उल्लेख है कि तिलचट्टे मानव स्पर्श के तुरंत बाद खुद को साफ करना शुरू कर देते हैं। हालांकि इसका कारण मानव को गंदा समझना नहीं बल्कि स्पर्श द्वारा शरीर पर चिपकी जैविक सामग्री को हटाना है ताकि उनकी गंध संसूचक क्षमता बनी रहे ।
यह व्यवहार केवल अमेरिकन कॉक्रोज तक सीमित नहीं है। फ्लाइज़, जर्मन कॉक्रोज और कारपेंटर अन्ट्स में भी समान ग्रूमिंग संरचनाएं देखी गई हैं, जो उन्हीं उद्देश्यों से होती है—cuticular अधिभार को हटाकर संवेदी pores बनाए रखना ।
स्रोत व उद्धरण
- ScienceDaily / PNAS (Schal et al., 2013) tIlchatton ke antennae grooming par research जिसने sensory capability की पुष्टि की है।
- Smithsonian Magazine antenna grooming और buildup substance की व्याख्या
- WUNC Public Radio / NC State News – तिलचट्टों के obsessive grooming व्यवहार और pest-control implications पर चर्चा