● वैज्ञानिकों ने की चौंकानेवाली खोज

टोक्यो, जापान।
क्या किसी दर्दनाक स्मृति को बिना मस्तिष्क को क्षति पहुंचाए मिटाया जा सकता है? जापान के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक चौंकाने वाली खोज की है जो भविष्य में PTSD यानी पोस्ट ट्रॉमाटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी मानसिक समस्याओं के इलाज के नए द्वार खोल सकती है।
टोक्यो मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ड्रोसोफिला (एक फल मक्खी) पर किए गए प्रयोगों में पाया कि जब इन मक्खियों को लगातार दो या अधिक दिनों तक अंधेरे में रखा गया तो उन्होंने अपनी दर्दनाक दीर्घकालिक स्मृतियां खो दीं। इसके विपरीत, सामान्य रोशनी वाले वातावरण में रखी गई मक्खियां उन स्मृतियों को बनाए रखने में सक्षम रहीं।
कैसे काम करता है यह स्मृति मिटाने वाला तंत्र?
इस प्रभाव के पीछे वैज्ञानिकों ने एक खास मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म की पहचान की है। इसमें एक न्यूरोपेप्टाइड Pigment-Dispersing Factor (Pdf) प्रमुख भूमिका निभाता है, जो प्रकाश के संपर्क में आने पर सक्रिय होता है। Pdf, मस्तिष्क के स्मृति केंद्र मशरूम बॉडीज़ में CREB (केम्प रिस्पॉन्स एलिमेंट बाइंडिंग प्रोटीन) नामक प्रोटीन को सक्रिय करता है, जो दीर्घकालिक स्मृति को बनाए रखने में सहायक होता है। जब रोशनी नहीं होती, तो Pdf का स्राव बंद हो जाता है, जिससे CREB का निर्माण नहीं हो पाता और फलस्वरूप, दीर्घकालिक स्मृति नष्ट हो जाती है।
मानव मस्तिष्क पर क्या प्रभाव हो सकता है?
हालांकि यह अध्ययन केवल मक्खियों पर किया गया है। लेकिन इसके परिणामों से वैज्ञानिकों को यह संकेत मिला है कि पर्यावरणीय कारक जैसे प्रकाश मानव मस्तिष्क की स्मृति प्रणाली को भी प्रभावित कर सकते हैं। यदि इसी प्रकार के तंत्र मनुष्यों में भी मौजूद हैं तो आगे चलकर गैर-आक्रामक उपचार विधियां विकसित की जा सकती हैं, जो दर्दनाक स्मृतियों को मिटाने या नियंत्रित करने में कारगर हो सकती हैं।
भविष्य की दिशा
यह शोध अभी प्रारंभिक चरण में है और इसके मानवों पर प्रभावों का अध्ययन आवश्यक है। लेकिन यह एक बड़ी उम्मीद जगाता है कि यादों की जड़ों तक पहुंचे बिना, दर्द से मुक्ति पाना संभव हो सकता है।
स्रोत: Tokyo Metropolitan University, 2020 — Light-responsive Pdf signaling mediates memory maintenance in Drosophila (Journal Reference Available)