- स्टैनफोर्ड वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास

वाशिंगटन। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका के शोधकर्ताओं ने ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। उन्होंने ऐसे ‘एंटी-सोलर पैनल’ विकसित किए हैं, जो अब रात के अंधेरे में भी बिजली उत्पन्न करने में सक्षम हैं। यह तकनीक पारंपरिक सौर ऊर्जा प्रणालियों से अलग है और भविष्य में ऊर्जा क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है।
कैसे करते हैं यह काम?
ये पैनल ‘रेडिएटिव कूलिंग’ (विकिरणीय शीतलन) की प्रक्रिया पर आधारित हैं। जब रात के समय पृथ्वी की सतह से गर्मी अंतरिक्ष में निकलती है, तो इस तापमान अंतर को थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (TEG) के माध्यम से बिजली में बदला जाता है। इस तकनीक से पैनल प्रति वर्ग मीटर लगभग 50 मिलीवाट बिजली उत्पन्न कर पा रहे हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
प्रमुख वैज्ञानिक प्रो. शानहुई फैन की अगुवाई में हुए इस शोध को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट और Science Times, Cowboy State Daily तथा TechFinder जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफार्मों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह नई तकनीक दिन में सौर पैनलों द्वारा उत्पादित ऊर्जा का लगभग 25 प्रतिशत रात में उत्पन्न कर सकती है जोकि एक बड़ी उपलब्धि है।
संभावनाएं और भविष्य
इस तकनीक के माध्यम से उन क्षेत्रों में बिजली पहुंचाना संभव हो सकेगा, जहां दिन के समय सौर ऊर्जा सीमित है या रात में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है जैसे कि दूरदराज के गांव, सैन्य शिविर, अंतरिक्ष मिशन, या आपातकालीन सेवाएं। छोटे उपकरणों, सेंसर्स और एलईडी लाइट्स के लिए यह पैनल ऑफ-ग्रिड समाधान के रूप में उभर सकते हैं।
कुछ चुनौतियां भी हैं!
फिलहाल यह तकनीक प्रारंभिक परीक्षण स्तर पर है। इसकी उत्पादन क्षमता वाणिज्यिक उपयोग के लिए पर्याप्त नहीं है परंतु वैज्ञानिकों को विश्वास है कि आने वाले वर्षों में इसमें कई गुणात्मक सुधार किए जा सकते हैं। जहां सौर पैनल अभी तक केवल सूर्य के प्रकाश पर निर्भर थे, वहीं यह नई खोज दर्शाती है कि अब अंधेरे में भी ऊर्जा का उजाला संभव है। यह शोध न केवल ऊर्जा के विकल्पों को विस्तार देता है बल्कि हरित ऊर्जा की दिशा में विश्व को एक नई प्रेरणा भी प्रदान करता है।