● कई देशों में बच्चों के लिए सोशल मीडिया नियम बने, कहीं बदलाव की तैयारी
● भारत में भी ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती

मुंबई।
सोशल मीडिया जहां युवाओं को अभिव्यक्ति का मंच देता है, वहीं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक असर को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। तनाव, तुलना की मानसिकता और साइबरबुलिंग जैसी समस्याओं से निपटने के लिए कई देशों ने बच्चों के लिए सोशल मीडिया उपयोग पर सख्त नियम लागू किए हैं। इस बीच भारत में भी ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती की गई है और संसद में बिल भी पास कर दिया गया है।
ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध, उल्लंघन पर कंपनियों पर जुर्माना लगता है। वहीं फ्रांस में 15 साल से कम बच्चों के लिए अकाउंट बनाने पर माता-पिता की सहमति अनिवार्य है।
यूके में तो बाकायदा ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट है। इसके तहत प्लेटफॉर्म्स को बच्चों के लिए सुरक्षित कंटेंट और प्राइवेसी सुनिश्चित करनी होती है। जर्मनी में भी 16 साल से कम उम्र में सोशल मीडिया उपयोग के लिए अभिभावक की अनुमति जरूरी है जबकि नॉर्वे में न्यूनतम आयु सीमा 13 से बढ़ाकर 15 करने की योजना है।
चीन में नाबालिगों के लिए गेमिंग समय सप्ताह में तीन घंटे तक सीमित है और कंटेंट पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। इसके अलावा यूरोपीय संघ के देशों में डेटा सुरक्षा कानून के तहत 16 साल से कम बच्चों का डेटा प्रोसेस करने के लिए अभिभावक की सहमति आवश्यक होती है।
भारत में भी ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती
लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पारित कर दिया है। इस कानून का मकसद 45 करोड़ से अधिक भारतीयों को ऑनलाइन गेमिंग की लत और इसके आर्थिक जाल से बाहर निकालना है। कानून लागू होते ही पैसों से जुड़े सभी ऑनलाइन गेमिंग एप्स पर रोक लग जाएगी। गूगल प्ले स्टोर समेत किसी भी प्लेटफॉर्म से ऐसे ऐप अब डाउनलोड नहीं किए जा सकेंगे।