
मुंबई।
स्वस्थ हृदय के लिए केवल अच्छा भोजन और व्यायाम ही पर्याप्त नहीं है बल्कि नींद की गुणवत्ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अमेरिका के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संजय भोजराज के अनुसार ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की सबसे प्रभावी आदत केवल अधिक सोना नहीं है बल्कि नियमित समय पर सोना और उठना है। हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने से शरीर की आंतरिक घड़ी (बॉडी क्लॉक) संतुलित रहती है, तनाव घटता है और हृदय सुरक्षित रहता है।
नियमित नींद का समय न सिर्फ नींद की गुणवत्ता सुधारता है बल्कि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है। जब इस आदत को संतुलित आहार, व्यायाम और चिकित्सकीय देखभाल के साथ जोड़ा जाए तो इसका असर लंबे समय तक दिखाई देता है।
शरीर का हर अंग, विशेषकर हृदय, प्राकृतिक लय यानी सर्केडियन क्लॉक का पालन करता है। यदि सोने और उठने का समय रोज़ाना समान रहे तो यह लय सही रहती है और हृदय पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। वहीं, यदि रोज़ाना नींद का समय सिर्फ आधे घंटे भी इधर-उधर हो, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि नींद की निरंतरता तनाव हार्मोन को संतुलित रखती है, हृदय को बेहतर ढंग से रिकवर होने देती है और रक्तचाप नियंत्रण में मदद करती है। हृदय स्वास्थ्य संगठनों की गाइडलाइंस में भी नींद की नियमितता को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मेटाबोलिक समस्याओं से बचाव का अहम कारक बताया गया है।
ज़रूरी यह नहीं कि आप कितनी देर सोते हैं, बल्कि यह भी मायने रखता है कि आप कब सोते हैं।
नियमित नींद के लाभ
हृदय पर दबाव कम: तय समय पर सोने से रक्त वाहिकाओं पर तनाव घटता है और दिल सुचारू रूप से काम करता है।
गहरी और अच्छी नींद: नियमित नींद से नींद की गहराई और आरामदायकपन बढ़ता है, जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रण में मदद मिलती है।
संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार: अच्छी नींद मूड, ऊर्जा और जीवनशैली को सकारात्मक बनाती है, जो दिल की सेहत को लाभ पहुंचाती है।
हार्मोनल संतुलन: नियमित नींद कोर्टिसोल और मेलाटोनिन जैसे हार्मोनों को संतुलित करती है, जो तनाव, मेटाबोलिज़्म और ब्लड प्रेशर पर सीधा असर डालते हैं।
स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया (TOI)