● सूर्यकांत उपाध्याय

महाभारत की गाथा में कर्ण का नाम जितना प्रसिद्ध है, उतना ही अदृश्य-सा नाम है उसकी पत्नी उर्वी का। उर्वी केवल एक राजकुमारी नहीं थी बल्कि प्रेम, साहस और निष्ठा का अद्भुत उदाहरण थी।
राजसी परिवार में जन्मी, सुंदर और विदुषी उर्वी ने समाज के बंधनों को चुनौती देते हुए सूतपुत्र कहलाए जाने वाले कर्ण से विवाह किया। यह कदम उसके लिए आसान नहीं था किंतु उसके लिए कर्ण का साहस और व्यक्तित्व ही सबसे बड़ा आकर्षण था।
विवाह के बाद उर्वी का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। समाज के ताने, पति के संघर्ष और कुरुक्षेत्र के युद्ध की विभीषिका। फिर भी उसने हर परिस्थिति में कर्ण का साथ दिया। जब कर्ण को यह ज्ञात हुआ कि वह वास्तव में कुंतीपुत्र और पांडवों का भाई है, तब भी उर्वी ने उसे धैर्य और संबल प्रदान किया।
कर्ण की मृत्यु के बाद भी उर्वी का प्रेम और निष्ठा अडिग रही। उसने जीवन का अंतिम समय कर्ण की स्मृति में बिताया।
उर्वी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्रेम केवल भावनाओं का नहीं, बल्कि साहस और त्याग का नाम है। समाज के बने-बनाए नियम टूट सकते हैं, किंतु निष्ठा और प्रेम अमर रहते हैं।