
चेन्नई।
हिंदी पत्रकारिता की 200 वर्षों का गौरवशाली इतिहास है। इस संदर्भ में तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी चेन्नई की ओर से एक राष्ट्रीय सेमिनार और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देश के हिंदी पत्रकारिता से संबंधित अनेक पत्रकारों को सम्मानित किया गया। दक्षिण भारत के हिंदी पत्रकारों के विशेष योगदान को रेखांकित किया गया। अमेठी निवासी प्रवासी संसार के संपादक डॉ राकेश पाण्डेय के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी पत्रकारिता के प्रयासों को सम्मानित किया गया।
डॉ राकेश पांडेय को तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी की अध्यक्ष डॉ. निर्मला एस मौर्य एवं महासचिव ईश्वर करुण सहित अन्य गणमान्य मंचासीन लोगों ने अंगवस्त्र एवं सम्मान चिन्ह देखकर सम्मानित किया। हिन्दी पत्रकारिता के 200 वर्ष पूर्ण होने के संदर्भ में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का केंद्रीय विषय “हिन्दी पत्रकारिता का वैश्विक परिदृश्य” पर मुख्यातिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ राकेश पाण्डेय ने कहा कि हम “उदंत मार्तंड” की चर्चा करते हुए यह तो चर्चा कर रहे हैं कि 200 वर्ष हिन्दी पत्रकारिता की पूरे हुए लेकिन क्या जिन कारणों से “उदंत मार्तंड” बंद हो गया, वे कारण क्या हिंदी पत्रकारिता से समाप्त हो गए? या आज भी उन कारणों से हिन्दी पत्रकारिता को जूूझना पर रहा है?
इस वर्ष अकादमी ने चार महिला हिन्दी सेवियों को सम्मानित किया, जिसमें हिन्दी प्रचारक के रूप में लंबी सेवा देने के लिए श्रीमती पी. भाग्यलक्ष्मी को “श्रीमती सुजान देवी स्मृति जीवनोपलब्धि सम्मान, अनुवाद में महत्वपूर्ण सेवा देने के लिए श्रीमती आर पार्वती को “श्री बिनोद कुमार अग्रवाल स्मृति जीवनोपलब्धि सम्मान, हिन्दी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय में प्राचार्य रूप में महत्वपूर्ण सेवा देने के लिए डॉ मीना कृष्णन को “श्रीमती वेद कुमारी-चन्द्रावती जीवनोपलब्धि सम्मान
और हिन्दी टीवी सीरियल और फिल्म के माध्यम से हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान देेने के लिए श्री जयगोपाल गाड़ोदिया स्मृति जीवनोपलब्धि सम्मान प्रदान किया गया।
इस अवसर पर विशेष रूप से पाँच पत्रकारों को अकादमी का “विशेष पत्रकारिता सम्मान” प्रदान किया गया, जिसमें डॉ राकेश पाण्डेय, प्रवासी संसार, दिल्ली, श्री बी. रमेश, उप संपादक, डेली हिंदी मिलाप, हैदराबाद, श्री टी. राघवन, वरिष्ठ संपादक, इंडिया टीवी बेंगलुरु, डॉ विजयराघवन, संपादक, राजस्थान पत्रिका चेन्नै संस्करण को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। किसी कारणवश दक्षिण से प्रकाशित दक्षिण भारत राष्ट्रमत के संपादक श्री श्रीकांत पराशर सम्मान लेने नहीं पहुँच पाए। भोपाल के डॉ॰ जवाहर कर्नावट को भी सम्मानित किया गया।
इसके साथ ही इस सत्र में दक्षिण भारत के विद्वानों ने अपने शोध पूर्ण आलेख भी प्रस्तुत किए,जिनमें श्रीमती रानी- रानीपेट (तमिलनाडु), डॉ गुरुमर्ति चेन्न, श्री अभिमन्यु, युवा छात्र चेन्नै, श्रीमती निधि गौतम, चेन्नै एवं अन्य विद्वानों ने आलेख प्रस्तुत किया। सत्र का आरंभ मैसूर से पधारी डॉ कृष्णा मणिश्री के हिन्दी गीत से हुआ। इस सत्र का संचालन श्रीमती कुमुद वार्ष्णेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ गुरुमूर्ति ने किया।
अंतिम सत्र कवि सम्मेलन सत्र के मुख्य अतिथि बेंगलुरु के युवा कवि बृजेंद्र मिश्र ज्ञासु ने अपनी महत्वपूर्ण रचनाएँ सुनाई। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता श्री आर के कुलश्रेष्ठ, पूर्व महाप्रबंधक, दक्षिण रेलवे ने की। इस सत्र के विशिष्ट अतिथि श्रीमती मानसी कुलश्रेष्ठ (चेन्नई) डॉ पी के झा प्रेम (दलसिंहसराय, बिहार) डॉ कृष्ण मुरारी झा (जमशेदपुर, झारखंड) थे। कवि सम्मेलन सत्र के लिए स्वागत भाषण श्री आलोक जायसवाल, ग्रंथपाल, पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय, गिल नगर, चेन्नै ने किया। कवि सम्मेलन का संचालन तमिल भाषी श्रीमती श्रीदेवी एवं श्रीमती आर पार्वती ने किया।
काव्य पाठ करनेवालों में डॉ सुनीता जाजोदिया, डॉ के चेल्लम, एस गीता,डॉ कृष्णा मणिश्री, डॉ के पद्मिनी, प्रणव तिवारी, आर श्रीदेवी,डॉ गुरुमूर्ति, आर पार्वती, कुमुद वार्ष्णेय, आलोक जायसवाल, तेजराज गहलोत, जयंतिलाल जागरूक, मिट्ठू मिठास, चन्द्र प्रकाश गोयन्का, के निकिता, सरला विजय सिंह, डॉ राकेश पाण्डेय, डॉ निर्मला मौर्य, मानसी कुलश्रेष्ठ, रवि रंजना सिंह, रितिका राजपुरोहित, कोमल, डॉ पी के झा प्रेम, डॉ कृष्ण मुरारी झा, देवानंद झा,डॉ मधु विनय, डॉ पी बी वनिता, नवीन जी, ईश्वर करुण आदि थे।
धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष श्री प्रणव तिवारी ने किया।