
● हम सिर्फ 5 प्रतिशत ही देख पाते हैं
नई दिल्ली।
क्या आप जानते हैं कि हम जिस ब्रह्मांड को अपनी आँखों से देखते हैं, वह उसकी असली तस्वीर का सिर्फ़ 5 प्रतिशत है? वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा हमारी नज़रों से पूरी तरह छिपा हुआ है। इस रहस्यमय हिस्से को डार्क मैटर और डार्क एनर्जी कहा जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रह्मांड का बड़ा हिस्सा अब भी रहस्य है। जैसे अंधेरे कमरे में एक छोटा दीपक जलाकर हम केवल कुछ कोना ही देख पाते हैं, वैसे ही विज्ञान अभी तक ब्रह्मांड का छोटा हिस्सा ही समझ पाया है।
क्या है अदृश्य ब्रह्मांड?
नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के अनुसार-
साधारण (दृश्यमान) पदार्थ : केवल 5 प्रतिशत
डार्क मैटर : 27 प्रतिशत
डार्क एनर्जी : 68 प्रतिशत
यानी तारे, ग्रह, आकाशगंगाएँ और हम स्वयं, सब कुछ मिलाकर भी ब्रह्मांड का बहुत छोटा हिस्सा हैं।
क्यों नहीं दिखता यह हिस्सा?
विशेषज्ञ बताते हैं कि डार्क मैटर और डार्क एनर्जी न तो प्रकाश को परावर्तित करते हैं, न अवशोषित। यही कारण है कि इन्हें सामान्य आँखों या दूरबीनों से नहीं देखा जा सकता। हालांकि इनका गुरुत्वाकर्षण और ब्रह्मांड के फैलाव पर प्रभाव साफ़ तौर पर दर्ज किया गया है।
हमारी सीमित दृष्टि
विज्ञान कहता है कि हमारी आँखें केवल दृश्यमान प्रकाश की संकरी पट्टी को देख पाती हैं। इसके बाहर रेडियो तरंगें, एक्स-रे, अल्ट्रावॉयलेट किरणें, इन्फ्रारेड विकिरण और न्यूट्रिनो जैसे कण लगातार मौजूद रहते हैं। हर सेकंड अरबों न्यूट्रिनो हमारे शरीर से गुजरते हैं, लेकिन हमें इसका आभास तक नहीं होता।
वैज्ञानिक प्रयास
रेडियो टेलिस्कोप, इन्फ्रारेड कैमरे और कण-डिटेक्टर जैसी तकनीकें इस अदृश्य ब्रह्मांड को समझने में मदद कर रही हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी का यूक्लिड मिशन और नासा की स्पेस ऑब्ज़र्वेटरीज़ इस दिशा में लगातार काम कर रही हैं।
स्रोत: NASA – Dark Matter & Dark Energy
ESA – The Dark Universe
Harvard Chandra – Dark Universe
Wikipedia – Lambda-CDM Model