
रोम। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक चौंकाने वाली सच्चाई उजागर की है। इटली में किए गए अध्ययन में पाया गया कि जिन रोगियों की गर्दन की धमनियों से प्लाक (चर्बी और कोलेस्ट्रॉल की परत) निकाला गया, उनमें से करीब 58% में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक मौजूद थे। इनमें सबसे अधिक पॉलीएथिलीन और पीवीसी (PVC) पाए गए।
शोध के अनुसार जिन रोगियों की धमनियों में प्लास्टिक कण थे, उनमें अगले तीन वर्षों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा लगभग 4.5 गुना अधिक दर्ज किया गया। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी से यह भी पता चला कि ये प्लास्टिक कण धमनियों की दीवारों में सूजन बढ़ाते हैं, जिससे प्लाक और खतरनाक हो जाता है।
नवीनतम निष्कर्षों के मुताबिक, स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की धमनियों में स्वस्थ लोगों की तुलना में 51 गुना अधिक माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रदूषण अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रहा, बल्कि हमारे दिल और दिमाग तक पहुंच चुका है।
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि प्लास्टिक सीधे बीमारियों का कारण है या केवल एक सहायक कारक, लेकिन इतना तय है कि रोज़मर्रा के पानी, पैक्ड फूड, हवा और नमक जैसे साधनों के ज़रिए हम लगातार इन सूक्ष्म कणों को निगल रहे हैं—और वे हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं।
स्रोत: The New England Journal of Medicine, Reuters, The Guardian, American Heart Association