
● मुंबई। भारत सरकार ने छठ महापर्व को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने की पहल की है। इसके लिए गठित विशेषज्ञ समिति में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भोजपुरी साहित्यकार मनोज भावुक भी सदस्य बनाए गए हैं।
मनोज भावुक ने बताया कि मॉरीशस का गीत-गवाई पहले ही यूनेस्को की सूची में शामिल है। अब छठ को वैश्विक मान्यता दिलाने की दिशा में भारत, गिरमिटिया देशों और दुनिया भर में बसे प्रवासी पूर्वांचली लोग भी अभियान चला रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी छठ से जुड़े सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं का दस्तावेजीकरण कर रही है।
भावुक ने कहा, ‘हम छठ गीतों और परंपरा के बीच बड़े हुए हैं। विदेशों में भी छठ पूजा आयोजित कराने का सौभाग्य मिला। युगांडा में भोजपुरी असोसिएशन (2005) और लंदन में भोजपुरी समाज (2006) की स्थापना कर छठ पर्व को आगे बढ़ाया। टीवी, पत्र-पत्रिकाओं और गीत-संगीत के माध्यम से भी लगातार छठ पर काम किया। समिति में शामिल होना मेरे लिए बड़ी जिम्मेदारी और गर्व की बात है।’
उन्होंने कहा कि छठ महापर्व जात-पात, अमीरी-गरीबी और लैंगिक भेद से ऊपर उठकर सामूहिकता, भाईचारे, पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश देता है। यूनेस्को में इसे शामिल कराने के लिए जो भी संभव होगा, मैं अवश्य करूँगा।
