
● आरा । वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के भोजपुरी विभाग में सुप्रसिद्ध साहित्यकार मनोज भावुक की शोध पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ का लोकार्पण हुआ। दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ‘नाथ’ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रविंद्र नाथ राय, प्रो. अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, प्रो. डॉ. नीरज सिंह, वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. दिवाकर पांडेय तथा वरिष्ठ आलोचक जितेंद्र कुमार ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। स्वागत भाषण में प्रो. दिवाकर पांडेय ने कहा कि यह पुस्तक भोजपुरी सिनेमा के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध होगी और शोधार्थियों के लिए आधार-ग्रंथ का कार्य करेगी। प्रो. रविंद्र नाथ राय ने इसे मनोज भावुक के लंबे शोध और साधना का परिणाम बताया। प्रो. नीरज सिंह ने कहा कि भावुक के व्यक्तित्व में प्रेम, प्रेरणा, प्रतिभा और परिश्रम का सुंदर संगम है। जितेंद्र कुमार ने उल्लेख किया कि अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन ने इस पुस्तक पर ‘चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह सम्मान’ देने की घोषणा की है, जो 29 नवम्बर को प्रदान किया जाएगा।
अपने वक्तव्य में मनोज भावुक ने कहा कि यह गर्व की बात है कि यूनेस्को में छठ पर्व को शामिल करने के प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी अब वैश्विक भाषा बन चुकी है और युवाओं को इसमें सृजनशील लेखन की दिशा में आगे आना चाहिए। भावुक ने अपनी गज़लें और गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में शोधार्थियों, छात्रों, मीडियाकर्मियों और भोजपुरी प्रेमियों की बड़ी संख्या उपस्थित रही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अयोध्या प्रसाद उपाध्याय और संचालन प्रो. दिवाकर पांडेय ने किया।
‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर भोजपुरी भाषा में लिखी गई पहली विस्तृत पुस्तक है, जिसका प्रकाशन मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने किया है। इसमें वर्ष 1931 से अब तक के सिनेमा का संपूर्ण विवरण है, जब 1962 में पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ बनी और उससे पहले हिंदी फिल्मों के संवाद व गीतों में भोजपुरी की गूंज सुनाई दी।
पुस्तक में अमिताभ बच्चन, सुजीत कुमार, राकेश पांडेय, कुणाल सिंह, रवि किशन और मनोज तिवारी जैसी हस्तियों के साक्षात्कार शामिल हैं। इसमें भोजपुरी सिनेमा की चुनौतियों, संभावनाओं, व्यवसाय और भविष्य के साथ ओटीटी, भोजपुरी वेब सीरीज और टेलीफिल्मों का भी समग्र चित्रण किया गया है।
मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा और साहित्य के बीच की सशक्त कड़ी हैं। हाल ही में उनकी फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ रिलीज हुई है, जिसके सभी गीत उन्होंने स्वयं लिखे हैं। यह पुस्तक उनके तीन दशकों की निरंतर साधना का परिणाम है।
