
● नई दिल्ली ।
देशभर में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली तारीख 7 नवंबर तय की है। अदालत ने संकेत दिया कि वह अगले सप्ताह नए दिशा-निर्देश जारी करेगी, विशेष रूप से उन सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों के लिए जहाँ कर्मचारी आवारा कुत्तों को भोजन देकर उनकी संख्या बढ़ाने में अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभा रहे हैं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने न्यायमित्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त हलफनामों के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे। इस रिपोर्ट में आवारा कुत्तों की जनसंख्या, काटने की घटनाओं, नसबंदी और टीकाकरण की स्थिति, उपलब्ध आश्रय स्थलों और दीर्घकालिक सुविधाओं में रखे गए कुत्तों की संख्या जैसी जानकारियाँ शामिल होंगी।
पीठ ने यह भी कहा कि अदालत न केवल राज्यों की उपस्थिति और हलफनामों पर गौर करेगी बल्कि सरकारी संस्थानों में पनप रहे “संस्थागत खतरे” पर भी दिशा-निर्देश जारी करेगी, जहाँ कर्मचारी कुत्तों को भोजन और आश्रय देकर समस्या को बढ़ा रहे हैं। साथ ही, रिपोर्ट में पूर्व आदेशों के अनुपालन का स्तर भी दर्ज किया जाएगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने अनुपालन हलफनामे जमा कर दिए हैं। अदालत ने कई मुख्य सचिवों की उपस्थिति दर्ज की, जबकि केरल की ओर से उपस्थित प्रमुख सचिव ने मुख्य सचिव को छूट देने का अनुरोध किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य की सुनवाई में मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक नहीं होगी, बशर्ते कि अदालत के निर्देशों का पूर्ण पालन किया जाए। पीठ ने चेतावनी दी – “यदि अनुपालन में कोई कमी पाई गई, तो हम उन्हें पुनः बुलाएँगे।”
