
■ अमेठी ।
उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार, संस्कृति विभाग एवं बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अमेठी जनपद में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के विषय में महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने अमेठी जनपद के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. राकेश पांडेय अमेठी जनपद के स्वतंत्रता संग्राम पर लिखी जाने वाली पहली पुस्तक के लेखक भी हैं।
उन्होंने अपने वक्तव्य में अमेठी जनपद में भाले सुल्तानों की वीरता और उनकी बलिदान गाथा के महत्व को रेखांकित किया। अमेठी जनपद की रियासतों की अंग्रेजों के साथ भूमिका पर भी चर्चा हुई। अंग्रेजी शासन द्वारा लिखे गए पत्र और तार द्वारा प्रेषित किए गए संदेशों पर भी प्रकाश डाला गया। अमेठी के अंग्रेजों के समय के सूबेदार सीताराम पांडे का किस्सा आज की पीढ़ी के लिए नया है, इसके बारे में डॉ. पांडेय ने सभी को अवगत कराया। उन्होंने कहा स्वतंत्रता संग्राम में अमेठी की भूमिका को युवा पीढ़ी से परिचित कराना चाहिए, अमेठी के अवदान का मूल्यांकन होना अभी शेष है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संजय श्रीहर्ष ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है। सबका स्वागत करते हुए डॉ सुशील पांडेय ने पूर्व में इतिहास के साथ न्याय न करने की बात कही और कहा कि हम अंग्रेजों के लिखे इतिहास पर निर्भर है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित संगठन के अशोक द्विवेदी ने स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानियों के योगदान के बारे में प्रकाश डाला। राजकीय अभिलेखगार के अमिताभ पांडेय ने राजकीय अभिलेखागार की महती भूमिका से सबको अवगत कराया। अभिलेखागार के वरिष्ठ अधिकारी शिव कुमार ने सभी अतिथियों का समन्वय कर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के निदेशक संदीप नायक ने विश्वविद्यालय द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की भूमिका को रेखांकित किया। अमेठी जनपद के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को लेकर इस प्रकार बार-बार स्मरण करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. संजय सिंह ने अपना मत व्यक्त किया। राजेश कुमार सिंह, परमानंद जी सहित अनेक छात्र-छात्राओं ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लिया।
